Friday, December 30, 2011

नव वर्ष तुम्हारा हो मंगल !



नव वर्ष  तुम्हारा  हो  मंगल !
नव  वर्ष  तुम्हारा  हो  मंगल  !
जब  पूरब  वाली  खिड़की  से 
एक  नया  सवेरा  आयेगा 
जब  सूरज  तेरे  आँगन  में 
मद्धम  मद्धम  मुस्काएगा 
जब  भूरइ  बदल  अम्बर  में 
एक  लाल  सी  चादर  ओधेगें 
जब  पेड़ों  पर  नन्हे -नन्हे 
पंछी  सपनों से  जागेगें 
जब  अम्मी  तेरे  कमरे  में 
हौले - हौले  से  आएँगी 
बालों  के  काले  झुरमुट  में 
माथा  तेरा  सह्लायेंगी 
ममता  की  ऊष्मा  से  भरकर 
जब  बोझिल  पलकें  खोलोगे 
परियों  की  सुंदर  नगरी  से 
धीरे  - धीरे  से  लौटोगे 
जब  माँ  के  अंचल  में  अपना 
अलसाया  चेहरा  रखोगे 
दामन  के  स्नेहिल  तारों  में 
अपनी  ही  धड़कन  पायोगे 
जब  हरी  घास  पर  आकर  तुम 
फूलों  की  क्यारी  देखोगे 
जब  नन्ही  ओस  की  बूंदों  में 
ख़ामोशी  से  तुम  झांकोगे 
तब तेरी  छाया   में  बढ़कर 
तेरी  ही  काय  में  ढलकर 
कानो  में  फिर  धीरे  - धीरे  
मिसरी  से  भी  मीठे  – मीठे 
संगीत  सुनायुन्गा  तुमको 
नव  गीत  सुनायुन्गा  तुमको 
शुख  की  बारिश  में  हो  हरपाल 
जीवन  तेरा  निर्मल , उज्जवल 
नव  वर्ष  तुम्हारा  हो  मंगल  !
नव  वर्ष  तुम्हारा  हो  मंगल  !

Thursday, December 22, 2011

आज भी है ! ! !

तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझको आज  भी  है ,
तेरे दिल खोलकर मुस्कुराने का इंतज़ार आज भी है,

यूँ तो दिल खोलकर कर हसना तो हमने भी छोड़ दिया तेरे जाने के बाद,
मगर तुझे देखकर हसने की तमन्ना दिल में आज भी है,

क्योंकि चाँद की चांदनी भी कहा टिकती है तेरे आगे ,
इसलिए तेरी चांदनी का दीदार करने की चाह आज भी है ,

वो महल जो तेरे जाने से हो गया था खहनडर,
उनमे खुशियों के दिए जलने की चाह आज भी है ,  

वो गलिया वो झरोके भी चुपचाप है तेरे जाने के बाद ,
उनमे मदमस्त हवा का शोर सुनने की चाह आज भी है ,

मेरे बागीचे के फूलों ने तो खिलना ही छोड़ दिया ,
मगर उन पर भंवरो की गुंजन सुनने की चाह आह भी है ,

न जाने कब लौटेंगे वो दिन जो गुजारे थे संग तेरे ,
तेरे हाथो से बनी उस चाय की तलब आज भी है ,

जो जलते थे लोग तुझे देखकर संग मेरे,
उनको एक बार और जलने की चाह आज भी है ,

यूँ तो बेहोश सा लगता हु तेरे जाने के बाद ,
मगर तेरे संग जीने की चाह बाकी आज भी है ,

तू ये जाने या शायद न जाने...........
तू ये जाने या शायद न जाने...........
तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझे आज भी है......
तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझे आज भी है......

आज भी है . . . . . . . . 

Friday, December 16, 2011

***FARQ***

***FARQ***
Sbhi insan h Magr FARQ sirf itna h
Kuch Zakhm dete h Kuch Zakhm bhrte h

 ¤HUMSAFAR¤
Sbhi h Magr FARQ sirf itna h
Kuch Sath dete h Kuch Chod jate h

 ¤PYAR¤
Sbhi krte h Magr FARQ sirf itna h
Kuch Jaan dete h Kuch Jaan lete h

 ¤DOSTI¤
Sbhi krte h Magr FARQ sirf itna h
Kuch Log Nibhate h Kuch Log Aajmate h

Monday, December 12, 2011

Accha Lagta Hai

Mujhe ab neend ka talab nhi, 
Ab raato ko jaagna achha lagta hai.....

Mujhe nhi maalum ki tum meri kismat mein ho ya nhi, 

Magar khuda se tumhe maangna achcha lagta hai.....

Jane mujhe haq hai ya nhi,
Par tumhari parvaah karna achha lagta hai......


Tumse pyar karna sahi hai ya nhi,

Par is ehsaas ko jeena achha lagta hai......

Kabhi hum saath honge ya nhi,
Par yeh khawaab dekhna achcha lagta hai.......

Tum mere ho ya nhi, 

Par tumhe hi apna kehna achcha lagta hai......

Dil ko behlaya bahut, par manta hi nhi, 

Shayad ise bhi tumhare liye dhadkna achcha lagta hai.................