याद भी आते क्यों हो?
नहीं मिलना तो भला याद भी आते क्यों हो
इस कमी का मुझे अहसास दिलाते क्यों हो
डर तुम्हें इतना भी क्या है कहो ज़माने का
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाते क्यों हो
दिल में चाहत है तो काँटों पे चला आएगा
आप पलकों को गलीचे-सा बिछाते क्यों हो
हम पर इतने किए उपकार सदा ये माना
हम को हर बार मगर आप गिनाते क्यों हो
जाने किस वक्त तुम्हें इनकी ज़रूरत होगी
आप बेवक्त ही अश्कों को गिराते क्यों हो
यारी पिंजरे से ही कर ली है जब परिंदे ने
आसमाँ उसको खुला आप दिखाते क्यों हो
ज़िंदगी फूस का इक ढेर है इसमें आकर
आग तुम इश्क की सरकार लगाते क्यों हो
मुझको मालूम है दुश्मन नहीं हो दोस्त मेरे
मुझसे खंजर को बिना बात छिपाते क्यों हो
इश्क मरता नहीं , ये हकीकत जानो
किसी मीरा को ज़हर आप पिलाते क्यों हो
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