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Monday, November 11, 2019

यथार्थ

बहुत जी लिए सपनों में,
अब यथार्थ की बारी है।

कहो तुम्हारा लक्ष्य है क्या?
अज्ञात की क्या तैयारी है?
जीना है तुमको यूँ व्यर्थ यहीं?
या ध्येय तुम्हारा निर्णीत है?

स्वः से पूछो क्या सोचा हैं?
क्या भविष्य तुम्हारा रक्षित है?
क्या भावी तुम्हारा ध्येय रहा?
अंतर्मन यह चित्कार रहा।

कर्म पथ तुम्हारा चयनित हो,
हो भविष्य तुम्हारे चक्षु मे,
जीवन मे साधित लक्ष्य तो हो,
विचार ये मस्तिष्क मे शोभित हो।

है कर्म कोई असाध्य नहीं,
अगणित कसौटी खड़ी हुई।
जीवन मे विपदा, पीड़ाएं,
असंख्य यहां पर भरी हुई।

मन को ना विचलित होने दो।
अंतर्मन मे तुम धैर्य रखो,
कर्म पटल पर अटल रहो,
बाधाओं पर भी डटें रहो।

है लक्ष्य कोई असाध्य नहीं,
बस ध्येय तुम्हारा दृढ़ हो।
कर कर्म की पूजा नित क्षण तुम,
लक्ष्य अवश्य ही पाओगे।

यथार्थ मे जीवन जीकर तुम,
खुशहाल भविष्य ही पाओगे।
ध्येय, प्रयास, संघर्ष कर्म से तुम,
निज जीवन सफल बनाओगे।