तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझको आज भी है ,
तेरे दिल खोलकर मुस्कुराने का इंतज़ार आज भी है,
यूँ तो दिल खोलकर कर हसना तो हमने भी छोड़ दिया तेरे जाने के बाद,
मगर तुझे देखकर हसने की तमन्ना दिल में आज भी है,
क्योंकि चाँद की चांदनी भी कहा टिकती है तेरे आगे ,
इसलिए तेरी चांदनी का दीदार करने की चाह आज भी है ,
वो महल जो तेरे जाने से हो गया था खहनडर,
उनमे खुशियों के दिए जलने की चाह आज भी है ,
वो गलिया वो झरोके भी चुपचाप है तेरे जाने के बाद ,
उनमे मदमस्त हवा का शोर सुनने की चाह आज भी है ,
मेरे बागीचे के फूलों ने तो खिलना ही छोड़ दिया ,
मगर उन पर भंवरो की गुंजन सुनने की चाह आह भी है ,
न जाने कब लौटेंगे वो दिन जो गुजारे थे संग तेरे ,
तेरे हाथो से बनी उस चाय की तलब आज भी है ,
जो जलते थे लोग तुझे देखकर संग मेरे,
उनको एक बार और जलने की चाह आज भी है ,
यूँ तो बेहोश सा लगता हु तेरे जाने के बाद ,
मगर तेरे संग जीने की चाह बाकी आज भी है ,
तू ये जाने या शायद न जाने...........
तू ये जाने या शायद न जाने...........
तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझे आज भी है......
तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझे आज भी है......
आज भी है . . . . . . . .
तेरे दिल खोलकर मुस्कुराने का इंतज़ार आज भी है,
यूँ तो दिल खोलकर कर हसना तो हमने भी छोड़ दिया तेरे जाने के बाद,
मगर तुझे देखकर हसने की तमन्ना दिल में आज भी है,
क्योंकि चाँद की चांदनी भी कहा टिकती है तेरे आगे ,
इसलिए तेरी चांदनी का दीदार करने की चाह आज भी है ,
वो महल जो तेरे जाने से हो गया था खहनडर,
उनमे खुशियों के दिए जलने की चाह आज भी है ,
वो गलिया वो झरोके भी चुपचाप है तेरे जाने के बाद ,
उनमे मदमस्त हवा का शोर सुनने की चाह आज भी है ,
मेरे बागीचे के फूलों ने तो खिलना ही छोड़ दिया ,
मगर उन पर भंवरो की गुंजन सुनने की चाह आह भी है ,
न जाने कब लौटेंगे वो दिन जो गुजारे थे संग तेरे ,
तेरे हाथो से बनी उस चाय की तलब आज भी है ,
जो जलते थे लोग तुझे देखकर संग मेरे,
उनको एक बार और जलने की चाह आज भी है ,
यूँ तो बेहोश सा लगता हु तेरे जाने के बाद ,
मगर तेरे संग जीने की चाह बाकी आज भी है ,
तू ये जाने या शायद न जाने...........
तू ये जाने या शायद न जाने...........
तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझे आज भी है......
तेरे लौट आने का इंतज़ार मुझे आज भी है......
आज भी है . . . . . . . .
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