नव वर्ष तुम्हारा हो मंगल !
नव वर्ष तुम्हारा हो मंगल !
जब पूरब वाली खिड़की से
एक नया सवेरा आयेगा
जब सूरज तेरे आँगन में
मद्धम मद्धम मुस्काएगा
जब भूरइ बदल अम्बर में
एक लाल सी चादर ओधेगें
जब पेड़ों पर नन्हे -नन्हे
पंछी सपनों से जागेगें
जब अम्मी तेरे कमरे में
हौले - हौले से आएँगी
बालों के काले झुरमुट में
माथा तेरा सह्लायेंगी
ममता की ऊष्मा से भरकर
जब बोझिल पलकें खोलोगे
परियों की सुंदर नगरी से
धीरे - धीरे से लौटोगे
जब माँ के अंचल में अपना
अलसाया चेहरा रखोगे
दामन के स्नेहिल तारों में
अपनी ही धड़कन पायोगे
जब हरी घास पर आकर तुम
फूलों की क्यारी देखोगे
जब नन्ही ओस की बूंदों में
ख़ामोशी से तुम झांकोगे
तब तेरी छाया में बढ़कर
तेरी ही काय में ढलकर
कानो में फिर धीरे - धीरे
मिसरी से भी मीठे – मीठे
संगीत सुनायुन्गा तुमको
नव गीत सुनायुन्गा तुमको
शुख की बारिश में हो हरपाल
जीवन तेरा निर्मल , उज्जवल
नव वर्ष तुम्हारा हो मंगल !
नव वर्ष तुम्हारा हो मंगल !
AWESOME DEAR :)
ReplyDeleteI LOVED IT :)