ये कैसी अजब पहेली है,
भाग्य ने ये कैसी माया खेली है,
अगर भाग्य है आपके साथ,
तो प्रकृति भी देगी आपका साथ!
अगर नहीं ..
तो सिर्फ अँधेरा है ,
जो अचानक आकर घेर लेता है,
जो ये याद दिलाता है की,
कुछ भी नहीं स्थायी है,
वो भी नहीं जिन्हें हम चाहते है ,
वो भी नहीं जिनके लिए हम जीते है ,
भाग्य ने ये कैसी दुनिया बनायीं है!!
जीवन एक नाजुक कठपुतली है,
जो नाच रही है दरवाजे के एक ओर,
एक ऐसा दरवाजा जो दिखता नहीं है,
एक ऐसा दरवाजा जिसके पार,
कोई जाता है तो लौटता नहीं है!!
तो फिर...
क्यों न जिया जाये उन सुखद पालो को,
जो हमारे अपनों ने हमे दिए है,
क्यूंकि न जाने कब ये नियति हमसे उन्हें छीन लेगी,
क्यों न सहेज के रखा जाये उन यादों को,
जो हमारे अपनों की पहचान कराती है,
फिर...
क्यों हम उन्हें चोट पहुचाते है?
जो हमारे जीवन को सफल बनाते है,
क्यूँ ये छोटी बातें कलह करवाती है?
जिससे अपनों में दूरीयां बढ़ जाती है,
शायद..
ये सबको समझ नहीं आता,
जिसका परिणाम भाग्य है हमे बताता,
क्यों हम उन्हें तकलीफ पहुचाते है?
जिन्हें हम जान से ज्यादा चाहते है,
जिनके लिए कई रातों की नींदे गवायी है,
फिर इस प्यार की जगह धोके ने कैसे पाई है?
शायद इसीलिए ये भाग्य बड़ा दुखदायी है!!!
जब..
जानते है एक न एक दिन,
खो देने वाले है उन सबको हम,
क्यों देते है दर्द उन्हें?
क्यूँ ये सौदेबाजी क्यूँ ये इनकार?
क्यूँ फैला है ये सन्नाटा ज़िन्दगी में?
तो फिर..
क्यों न हम उन पलों को सुखद बनाये?
हम नहीं जानते समय उस तूफ़ान के आने का,
जो शायद ले जाये हमे या हमारे अपनों को,
एक ऐसा तूफ़ान जो अचानक आता है,
और चला जाता है,
और संग साड़ी खुशियाँ ले जाता है,
और हम खाली हाथ रह जाते है!!!!
लेकिन..
है कुछ ऐसा भी जो हम कर सकते है,
अपनों के अंतिम पलों को खुशियों से भर सकते है,
क्योंकि नहीं जानते हम,
कौनसा पल बन जाये अंतिम,
जिसके लिए..
जरुरत है तो सिर्फ एक अलग तरीके की,
एक विश्वास की, एक अपनत्व की भावना की,
एक नेक दिल और थोड़ी सी मुस्कान की,
थोड़ी सी दिलासा और थोड़े से प्रोत्साहन की,
और शायद ये सब है अपने पास,
जरूत है तो सिर्फ पहचान की!!!!!
माना की..
हम रोयेंगे उन सब के जाने के बाद,
मगर ये भी सच है,
ये पल जो सुखद बिताएंगे,
चेहरे पर हमारे,
मुस्कान ले आयेंगे,
और शायद तभी,
हम इस दुर्भाग्य को,
सौभाग्य में बदल पाएंगे,
और हम ये जानते है की हम ये जरुर कर दिखायेंगे.........
भाग्य ने ये कैसी माया खेली है,
अगर भाग्य है आपके साथ,
तो प्रकृति भी देगी आपका साथ!
अगर नहीं ..
तो सिर्फ अँधेरा है ,
जो अचानक आकर घेर लेता है,
जो ये याद दिलाता है की,
कुछ भी नहीं स्थायी है,
वो भी नहीं जिन्हें हम चाहते है ,
वो भी नहीं जिनके लिए हम जीते है ,
भाग्य ने ये कैसी दुनिया बनायीं है!!
जीवन एक नाजुक कठपुतली है,
जो नाच रही है दरवाजे के एक ओर,
एक ऐसा दरवाजा जो दिखता नहीं है,
एक ऐसा दरवाजा जिसके पार,
कोई जाता है तो लौटता नहीं है!!
तो फिर...
क्यों न जिया जाये उन सुखद पालो को,
जो हमारे अपनों ने हमे दिए है,
क्यूंकि न जाने कब ये नियति हमसे उन्हें छीन लेगी,
क्यों न सहेज के रखा जाये उन यादों को,
जो हमारे अपनों की पहचान कराती है,
फिर...
क्यों हम उन्हें चोट पहुचाते है?
जो हमारे जीवन को सफल बनाते है,
क्यूँ ये छोटी बातें कलह करवाती है?
जिससे अपनों में दूरीयां बढ़ जाती है,
शायद..
ये सबको समझ नहीं आता,
जिसका परिणाम भाग्य है हमे बताता,
क्यों हम उन्हें तकलीफ पहुचाते है?
जिन्हें हम जान से ज्यादा चाहते है,
जिनके लिए कई रातों की नींदे गवायी है,
फिर इस प्यार की जगह धोके ने कैसे पाई है?
शायद इसीलिए ये भाग्य बड़ा दुखदायी है!!!
जब..
जानते है एक न एक दिन,
खो देने वाले है उन सबको हम,
क्यों देते है दर्द उन्हें?
क्यूँ ये सौदेबाजी क्यूँ ये इनकार?
क्यूँ फैला है ये सन्नाटा ज़िन्दगी में?
तो फिर..
क्यों न हम उन पलों को सुखद बनाये?
हम नहीं जानते समय उस तूफ़ान के आने का,
जो शायद ले जाये हमे या हमारे अपनों को,
एक ऐसा तूफ़ान जो अचानक आता है,
और चला जाता है,
और संग साड़ी खुशियाँ ले जाता है,
और हम खाली हाथ रह जाते है!!!!
लेकिन..
है कुछ ऐसा भी जो हम कर सकते है,
अपनों के अंतिम पलों को खुशियों से भर सकते है,
क्योंकि नहीं जानते हम,
कौनसा पल बन जाये अंतिम,
जिसके लिए..
जरुरत है तो सिर्फ एक अलग तरीके की,
एक विश्वास की, एक अपनत्व की भावना की,
एक नेक दिल और थोड़ी सी मुस्कान की,
थोड़ी सी दिलासा और थोड़े से प्रोत्साहन की,
और शायद ये सब है अपने पास,
जरूत है तो सिर्फ पहचान की!!!!!
माना की..
हम रोयेंगे उन सब के जाने के बाद,
मगर ये भी सच है,
ये पल जो सुखद बिताएंगे,
चेहरे पर हमारे,
मुस्कान ले आयेंगे,
और शायद तभी,
हम इस दुर्भाग्य को,
सौभाग्य में बदल पाएंगे,
और हम ये जानते है की हम ये जरुर कर दिखायेंगे.........
No comments:
Post a Comment